तो क्या हो


तेरे लबों पर मेरे गीत, आ जाए तो क्या हो,
चांद तारों में हम तुम, खो जाए तो क्या हो,
कोई ना रहे इस दुनिया में, 
बस हम तुम रह जाए तो क्या हो ! 

प्यार की वो पहली शमां, जलती बुझती सी रहती है,
ठंढी हवा का झोंका, हौले से ये कहती है,
सपने सारे अगर हमारे, सब सच हो जाए तो क्या हो,
आसमां और सागर की तरह, अगर हम तुम मिल जाए तो क्या हो !

उड़ते हुए वो पंछी सारे, आसमां मे जो जाते हैं,
दिल में एक, आशाओं की, प्यारी तसवीर वो जगाते हैं,
दिल मचल के कह उठता है, फिर की 
वक्त का दरिया यहीं ठहर जाए तो क्या हो !

रात के साये में वो तारे, चमचमाते प्यारे प्यारे,
झर झर कर बहता वो झरना, सपनों में खोए हैं सारे,
सारे सपने उनके, अपने हो जाए तो क्या हो,
हर पल हम एक दूसरे में, खो जाए तो क्या हो !

सात ऋतु और सात रंग, सात ही सुर और सात ही जन्म,
आठवां अगर इनमें कोई, आ जाए तो क्या हो,
पंख लग जाए हमें और हम कहीं, 
उड जाए तो क्या हो !
(c) Amit Agarwalla

Comments