प्यार की एक झलक


कोहरे की एक चादर, कोई हमको दो उढाए,
के सामने हो फिर भी, उनको नज़र ना आए !
के नज़र से नज़र चुराकर, कब तक नज़र मिलाएँ ,
उनकी एक झलक से, खुद सूरज शीतल हो जाए !

जाओ, चांद से भी ये कह दो, कि बादल मे छिप जाए, 
कि इतना हो अंधेरा, के वो मुझको देख ना पाए, 
छुप के देख रहा हूं उनको, ना जाने कब से हाय, 
एक बार तो करीब से, आंखों मे वो समाए ! 

उनकी हर एक झलक पे, दिल खुद को खोता जाए, 
ओढ के कोहरा चूम लूं उनको, खोना मिलना बन जाए, 
फिर चाहे कत्ल करे, या जीवन दे लौटाए, 
बस धागा प्रेम का, "अमित" अमर हो जाए !!!!
(c) Amit Agarwalla

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