बंद आँखों से देखना, तेरी आदत है
जाने तेरे दिल में छिपी, कौनसी दावत है
भरती हो एक-एक पन्ना, सपनों के किताब में
मानो कलम हो जैसे पलकें, दिल जब बेताब है !!!
हो स्थिर जल, या फिर कभी हवा का दवाब है
हर पृष्ठ पे लिखा जो तूने, वो जीवन जवाब है
तेरे दिल मे दबे चाहतों का, अजब ये रिसाव है
के पढने वाला झूम उठे, मद्य सा खिचाव है !!!
जीवन के हर पल का, एक अनूठा हिसाब है
के जोड़ हे कहीं दर्द का, कहीं घटाव है
बंद आँखो से हो रही, ये मानो इंकलाब है
मानो कलम हो जैसे पलकें, दिल जब बेताब है !!!
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