भारत माता

उस दिन, जब मैं थक हार के
जिन्दगी का मोह, त्याग के
सागर तट पे, चल रहा था
भीतर मेरे, कुछ उबल रहा था
लहरें, मुझको बुला रही थी
किनारे, भी सता रही थी
बस, कुछ ही पल में बर्तमान -
भूत काल में समाने जा रही थी

तभी, मुझको मिल गयी एक महिला
थकी सी दिखती, चेहरा नीला
उसने बोला, "अरे ओ बेटे,
कयों चलते हो, सीना पिटे
मुझको देखो, कितना गम है
चेहरा जख्मी, आँखे भी नम है
चल रही मैं, लडखडाके
सांसे बाकि पर, निकला दम है"

"कहीं सास के शरण में
दामाद ने, मुझको है पीटा
कहीं मामा से मिल कर
भांजे ने, मुझको हे लुटा"

"आपस में जो लडते मरते
उन बेटों का चौडा है सीना
और जो रक्षा कर सकते थे
उनको कहीं गोलियों ने भुना"

"इतने सारे गम, है मुझको
फीर भी, मैं मूस्काती, इठलाती
तेरे जैसे लाल के, आशाओं पे
ही तो, मैं जीती जाती"

"और, एक छोटा सा गम तुझे
और तु चाहता है, अब न जीना
आ बेटे, बाहों में आ
मैं सहला दूँ, तेरा सीना"

सुनके, मैने बात है उनकी
उनसे पुछा, "ओ मेरी माता
कहते क्या हैं लोग तुझको
क्या है मुझसे तेरा नाता"

वो बोली, "ओ मेरे बेटे
जा लौट जा, न गाडी छुटे
तु जिसके, सीने पे चलता
मैं हुँ तेरी, वह "भारत माता"

उस दिन से, आज तक
मैं हँसता गाता, जीता आया
मुश्किलों से न घबराते
तान के सीना, ये गाता आया

हिन्दुस्तानी है, नाम मेरा
हिन्दुस्तां ही, वतन मेरा
और, है भारत माता तुझको
कोटि-कोटि, प्रणाम मेरा !

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