नया साल

नये साल में आओ मिलकर हम नयी एक दिशा चुनें

पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, सबके परे एक जहाँ चुनें

पूरब में अगर सुर्य उगे, तो पश्चिम में भी दीया जले

रोशनी अगर ढूंढना हे तो, दिशा नहीं कोई दशा चुनें !!!



हिन्दु, मुसलिम, सिख, ईसाई, सबके हैं लहु लाल अगर

फिर क्यों एक धर्म चुनें, और क्यों एक भगवान चुनें

नये साल में हम तुम मिलकर आओ नया संग्राम बनें

या तो एक रंग लाल बनें या फिर सिर्फ इन्सान बनें !!!



सडक पे चलते राहगिर, उडते धुल से क्यों डरे

लक्ष्य अगर हो मुरत बनाना, तो मिट्टी में रंग भरने पडे

किचड में ही पनपे किडे, किचड में ही कमल खिले

नये साल में आओ हम तुम किचड से कमल चुनें !!!!



हो बृक्ष जितना हरा भरा, उतना हि नत मस्तक रहे

भूचाल जब आये तब, बडे बडे पर्बतों के भी घमण्ड डरे

निर्मल निश्चल झरनों के तरह आओ हम मन साफ करे

नये साल में अहं को त्यागे ओर बस प्यार का जाप करे !!!

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