हिन्दुस्तानी अभिमान


है लाख बुराई मेरे मुल्क में
फिर भी करता गुण-गान सुनो
सारी दुनिया से लोहा लेता
हिन्दुस्तानी अभिमान सुनो !

हाँ अब भी भारत वर्ष में
गरीबी की है दुकान सुनो
पर गौर से देखो दुनिया वालों
प्यार की ये मुस्कान सुनो !

हाँ अब भी अपने देश में
नेता कितने भ्रष्ट हैं
पर प्रजातंत्र की परिभाषा
यहीं पर सर्वश्रेष्ठ है !

है सहनशीलता इतनी की
दुशमनों पे भी न पहले वार किया
पर आये जब अपने बचाव पर
तो हर बाजी हमने मार लिया !

हाँ अब भी यहाँ बहुत सारे
पढाई से है अंजान सुनो
पर चाँद भी जीता और दुनिया को
दे दी गीता का ज्ञान सुनो !

हाँ अब भी यहाँ अंधियारा हे
हर घर में बिजली जाती नहीं
पर जलती है जो प्यार की मशाल
वो, तूफानों में भी बुझती नहीं !

लाखों रंग है, लाखों भाषा
फिर भी भाईचारा सुनो
तुम क्या समझोगे के तुमपे
भारत माँ का उपकार सुनो !

शुन्य दिया जब हमने तुमको
तुमको गिनती आई सुनो
लाख बुराई मेरे मुल्क में
फिर भी है अभिमान सुनो !

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